बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 अर्थशास्त्र बीए सेमेस्टर-3 अर्थशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 अर्थशास्त्र : सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 16
मार्शल
(Marshall)
प्रश्न- 'मूल्य व वितरण' के क्षेत्र में मार्शल के योगदान का वर्णन कीजिए।
अथवा
मार्शल द्वारा 'मूल्य व वितरण' के सन्दर्भ में दिये गये विचारों का विवेचन कीजिए।
अथवा
आर्थिक विचारधारा में मार्शल के योगदान की समीक्षा कीजिये।
अथवा
एल्फ्रेड मार्शल के आर्थिक विचारों का विश्लेषण कीजिये।
उत्तर-
मार्शल विगत् शताब्दी के एक महान अर्थशास्त्री थे। मार्शल के अर्थशास्त्र की आर्थिक विचारधारा और नीति के क्षेत्र में अब तक गहरा प्रभाव हैं और निकट भविष्य में उसके समाप्त होने के आसार नहीं हैं। हैने के शब्दों में, "मार्शल के आर्थिक विचारों के इतिहास में एक ऐसे व्यक्ति के रूप में आदर पाते रहेंगे, जो मूल्य और वितरण का एक सामंजस्यपूर्ण सिद्धान्त प्रस्तुत करने की दिशा में किसी भी पूर्णाधिकारी की अपेक्षा कहीं अधिक प्रगति की है।" मार्शल ने आर्थिक विचारों को समृद्ध बनाया लेकिन मूल्य और वितरण के क्षेत्र में उनका योगदान विशेष उल्लेखनीय हैं।
मूल्य के क्षेत्र में मार्शल का योगदान
1. माँग तथा पूर्ति सन्तुलन विश्लेषण मार्शल के अनुसार मूल्य का निर्धारण माँग व पूर्ति के साम्य द्वारा होता है। उन्होंने माँग के विषय में कहा कि व्यक्ति किसी वस्तु की माँग उससे प्राप्त उपयोगिता के आधार पर ही करते हैं। अतः उसे जितनी सीमान्त उपयोगिता वस्तु से प्राप्त होती है, उसके बराबर मूल्य ही वह वस्तु के लिए देगा। इस मूल्य को मार्शल ने माँग मूल्य कहा हैं।
पूर्ति के सम्बन्ध में मार्शल ने बताया कि वस्तु का मूल्य इसलिए माँगा जाता है, क्योंकि उत्पादक को उत्पादन में कुल लागत लगानी पड़ती है। अतः सीमान्त उत्पादन व्यय को 'पूर्ति मूल्य' कहा है।
इस प्रकार मार्शल का मानना है कि मूल्य माँग मूल्य और पूर्ति मूल्य के साम्य बिन्दु पर निश्चित होता है। माँग मूल्य वस्तु के मूल्य की उच्चतम सीमा होगी, जबकि पूर्ति मूल्य उसकी न्यूनतम सीमा होगी। इन दोनों सीमाओं के बीच में ही वस्तु का मूल्य उस बिन्दु पर तय होता है, जहाँ वस्तु की कुल माँग के बराबर हो जाती है।
2. समय तय की भूमिका मार्शल के अनुसार मूल्य निर्धारण पर समय के तत्त्व का भी बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है। बाजार मूल्य का सम्बन्ध अल्पकाल और सामान्य मूल्य का सम्बन्ध दीर्घकाल से है, अर्थात् बाजार मूल्य अल्पकाल में प्रचलित होता है और सामान्य मूल्य दीर्घकाल में अल्पकाल में समय इतना कम होता है कि पूर्ति की माँग से होने वाले परिवर्तनों के अनुसार समायोचित होने का अवसर नहीं मिलता, जिस कारण मूल्य पर पूर्ति की अपेक्षा माँग का अधिक प्रभाव पड़ता हैं। इसके विपरीत दीर्घकाल में पूर्ति को समायोचित होने के लिए समुचित अवसर मिल जाता है, जिस कारण मूल्य हर माँग की अपेक्षा पूर्ति का अधिक प्रभाव पड़ता है। संक्षेप में मूल्य पर समयावधि के अनुसार माँग और पूर्ति का अधिक प्रभाव पड़ता हैं।
3. मूल्य निर्धारण के लिए माँग और पूर्ति दोनों आवश्यक - अल्पकाल में पूर्ति की सीमितता के कारण वस्तु के मूल्य में माँग के परिवर्तनों के अनुसार परिवर्तन होते हैं। दीर्घकाल में जहाँ सामान्य मूल्य होता है, वहाँ मूल्य के निर्धारण में उत्पादन लागत की विशेष महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है, क्योंकि प्रायः सामान्य मूल्य उत्पादन लागत के ही बराबर होता है। यही बात संस्थापित अर्थशास्त्री कहते हैं, किन्तु मार्शल ने अधिक अच्छे ढंग से कही। दूसरी ओर अल्प समय में बाजार मूल्य क्रेता की वस्तु से प्राप्त होने वाली सीमान्त उपयोगिता के आधार पर मोल-भाव द्वारा निर्धारित होता है। इस तरह वे ऑस्ट्रियन सम्प्रदाय के विचार को मान्यता देते हैं। मार्शल ने मूल्य विषयक वाद-विवाद को एक वैज्ञानिक रूप देकर महान कार्य किया। इस सम्बन्ध में हैने लिखते हैं कि, “मार्शल ने माँग पक्ष पर ऑस्ट्रियन सम्प्रदाय के कुछ विश्लेषण का प्रयोग किया है, किन्तु पूर्ति पक्ष पर वह संस्थापित सम्प्रदाय के लागत सम्बन्धी विचार को भी स्वीकार कर लेते हैं।
4. लागत पक्ष का विश्लेषण मार्शल ने मूल्य सिद्धान्त के साथ ही लागत पक्ष का भी विस्तृत वर्णन किया है। उन्होंने उत्पादक लागत को दो वर्गों में विभाजित किया है वास्तविक लागत और द्राव्यिक लागत। वास्तविक लागत की व्याख्या करते हुए वह लिखते हैं कि "किसी वस्तु के उत्पादन में प्रयुक्त होने वाली पूँजी में संचय के लिए आवश्यक समय अथवा प्रतीक्षा और वस्तु को बनाने में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रयोग होने वाली विभिन्न प्रकार के श्रमों का बलिदान। ये सब मिलकर वस्तु के उत्पादन की वास्तविक लागत कहलाते हैं। द्राव्यिक लागत से उनका आशय उन द्रव्य राशियों के योग का हैं। जो कि इन श्रमों और बलिदानों के लिए देनी होंगी। इन्हें संक्षेप में उत्पादन व्यय भी कहते हैं। ये वह कीमतें हैं जो वस्तु के उत्पादन के लिए प्रयत्नों और प्रतीक्षा की पर्याप्त पूर्ति प्राप्त कर सकने हेतु दी जानी अनिवार्य है अन्यथा उत्पादन कार्य रुक जायेगा।
वितरण के क्षेत्र में मार्शल का योगदान
अपने विश्लेषण में मार्शल ने वस्तुओं के संगठन अंगों और और उत्पत्ति साधनों के बीच सम्बन्धों की एक श्रृंखला स्थापित की है। मूल्य सिद्धान्त का विवेचन करते हुए उन्होंने बताया था कि सामान्य मूल्य लागतों से मिलकर बनता है और ये लागतें उत्पत्ति साधनों की पूर्ति मूल्य होती हैं। ये पूर्ति मूल्य ही उत्पादन में उनके हिस्से का निर्धारण करते हैं। माँग और पूर्ति के बीच के साम्य के विचार को मार्शल अपने वितरण सिद्धान्त को लागू करते हैं। उपभोग वस्तुओं और उत्पत्ति-साधनों दोनों ही के मूल्य निर्धारण में यह सीमान्त विश्लेषण को प्रयोग में लाते हैं। सभी मूल्य प्रतिस्थापन की क्रिया के द्वारा वस्तुओं और सीमाओं के प्रयोग में सीमान्त पर एक दूसरे के साथ सम्बन्धित होते हैं। समय घटक की सहायता से मार्शल मूल्य को निर्धारित करने वाली साधन आय और मूल्य से निर्धारित होने वाली साधन आर्यों के मध्य एक अन्तर रेखा खींच देते हैं। भूमि के लगान की दशा को छोड़कर सब दशाओं में युक्त उत्तर निरपेक्ष नहीं होता। अल्पकाल में अनेक साधनों की आय लगान सदृश्य होती है, उन्हें वे 'आभास लगान' कहते हैं।
1. राष्ट्रीय आय की परिभाषा - वितरण सिद्धान्त की समीक्षा करने से पहले यह उचित होगा कि हम मार्शल द्वारा दी गयी राष्ट्रीय आय की परिभाष को समझ लें। मार्शल के अनुसार, किसी देश का श्रम और पूँजी वहाँ के प्राकृतिक साधनों के सहयोग से भौतिक और अभौतिक वस्तुओं और सेवाओं का एक शुद्ध योग उत्पन्न करते हैं। 'शुद्ध' शब्द का प्रयोग कच्चे और अर्द्धनिमित्त माल की लागत तथा उत्पादन संचय की घिसाई व टूट-फूट के लिए आयोजन को सूचित करने हेतु किया गया है। ऐसे सब आयोजन या व्यय को कुल उपज में घटा देने से शुद्ध या सच्ची आय मालूम हो जाती है। विदेशी विनियोगों से प्राप्त शुद्ध आय को जोड़ दिया जाना चाहिए। यही देश की 'वास्तविक शुद्ध वार्षिक आय' का 'राष्ट्रीय लाभांश' है।
2. उत्पत्ति के साधन - सम्भवतः अंग्रेज संस्थापित अर्थशास्त्र के प्रभाव के कारण वे उत्पत्ति के केवल तीन स्पष्ट साधन होना मानते हैं, भूमि, श्रम और पूँजी संगठन के महत्त्व को वे न समझे हों, ऐसी बात नहीं है। उन्होंने साहसी को अपने अंग्रेज पूर्वाधिकारियों की अपेक्षा कहीं अधिक स्पष्ट तथा महत्त्वपूर्ण भूमिका प्रदान की। वे उसे एक ऐसा महान साधन समझते हैं, जो श्रम, भूमि और पूँजी के प्रयोग में प्रतिस्थापन का नियम लागू करता है, फिर भी यह सत्य है कि मार्शल ने साहस को या तो श्रम की एक विशिष्ट दशा अथवा अर्द्ध-लगान पाने वाले भिन्नात्मक लाभ माना है।
3. उत्पत्ति-साधनों के हिस्से का निर्धारण - उत्पत्ति साधनों को अपने पुरस्कार राष्ट्रीय आय में से प्राप्त होते हैं। राष्ट्रीय आय जितनी अधिक होगी, प्रत्येक उत्पत्ति साधन का हिस्सा उतना ही अधिक होगा। राष्ट्रीय आय में से भूमि पति का लगान, श्रमिकों को वेतन और पूँजीपति को विनियोगों पर ब्याज जाता है। इस प्रकार का विभाजन ही वितरण कहलाता है। वितरण की समस्या उन नियमों या सिद्धान्तों का प्रतिपादन करने से सम्बन्धित है, जिसके अनुसार राष्ट्रीय आय का वितरण उत्पत्ति साधनों के मध्य किया जाना चाहिए। मार्शल ने बताया कि वितरण को सरल नियम प्रस्तुत करना सम्भव नहीं है। उनके मतानुसार प्रत्येक उत्पत्ति साधन माँग और पूर्ति की शक्तियों से शासित होता है। उसका प्रयोग उत्पादन में लाभदायक की सीमा तक होता है अर्थात् उस बिन्दु तक किया जाता है जहाँ तक उसकी सीमान्त उत्पादकता और उसकी सीमान्त लागत बराबर हो जाए। सीमान्त उत्पादकता तो उस साधन के माँग मूल्य को निर्धारित करती है, किन्तु सीमान्त लागत उसके पूर्ति-मूल्य हो। दीर्घकाल में भूमि को छोड़कर अन्य सब साधनों की पूर्ति उनकी उत्पादन लागत से निर्धारित होती है।
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- प्रश्न- भारत के प्राचीनकालीन आर्थिक विचारधारा के प्रमुख स्रोतों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य रचित 'अर्थशास्त्र' में 'कल्याणकारी राज्य' की परिकल्पना को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य की पुस्तक 'अर्थशास्त्र' में उल्लेखित विषयों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय आर्थिक विचारधारा की मुख्य विशेषताएँ क्या थीं?
- प्रश्न- अर्थशास्त्र में उल्लिखित 'कृषि तथा पशुपालन' विषय पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के राजस्व के संबंध में विचारों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के सार्वजनिक वित्त संबंधी विचारों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के कल्याणकारी राज्य की अवधारणा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के अनुसार, करारोपण राज्य के लिए क्यों आवश्यक है?
- प्रश्न- भारत में 19वीं शताब्दी में आर्थिक विचारधारा का विकास किन बातों से प्रभावित हुआ?
- प्रश्न- नरौजी के प्रमुख आर्थिक सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- दादा भाई नौरोजी के निर्धनता सम्बन्धी विचार को समझाइये |
- प्रश्न- 'निष्कासन सिद्धान्त (The Drain Theory)' पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- रोमेश चन्द्र दत्त का सामान्य परिचय दीजिए।
- प्रश्न- रोमेश चन्द्र दत्त के कृषि सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "भारत की निर्धनता का कारण ब्रिटिश सरकार की शोषण नीति है।" रोमेश दत्त के इस कथन का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- "लगान की ऊँची दर भारतीय कृषि की दुर्दशा का एक प्रमुख कारण है।" स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- रोमेश दत्त के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर के आर्थिक विचारों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- डॉ. राम मनोहर लोहिया के प्रमुख आर्थिक विचारों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- गाँधी जी के 'समाजवाद' दर्शन का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गाँधीजी और नेहरू जी के आर्थिक विचारों की तुलना कीजिए।
- प्रश्न- गाँधीवाद तथा साम्यवाद में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- गाँधीजी के प्रमुख आर्थिक विचारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- गाँधीजी के मशीन सम्बन्धी विचारों को बताइये।
- प्रश्न- "नेहरूवाद मार्क्सवाद और गाँधीवाद का विवेकपूर्ण सम्मिश्रण है।" संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- पंडित दीनदयाल उपाध्याय की आर्थिक नीति की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पं. दीनदयाल उपाध्याय भारी उद्योगों को अमानवीय और तानाशाही प्रकृति का मानते थे। क्यों? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पं. दीनदयाल उपाध्याय की विकेन्द्रीकृत अर्थव्यवस्था की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पं. दीनदयाल उपाध्याय के समग्र मानवतावाद के दर्शन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- दीन दयाल उपाध्याय की एकीकृत आर्थिक नीति की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- अर्थशास्त्र में 'आवश्यकता विहीनता' की परिभाषा के जन्मदाता प्रो. जे. के. मेहता हैं। इनके आर्थिक विचार समझाइए।
- प्रश्न- अमर्त्य सेन के 'निर्धनता' सम्बन्धी विचार लिखिए।
- प्रश्न- वैश्वीकरण पर अमर्त्य सेन के विचारों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- विश्व व्यापार प्रणाली के सन्दर्भ में भगवती के विचारों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- व्यापार उदारीकरण पर भगवती के विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्लेटो के प्रमुख आर्थिक विचारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्लेटो और अरस्तू के आर्थिक विचारों की तुलना कीजिये तथा आर्थिक विचारों के इतिहास में अरस्तू का महत्व बताइये।
- प्रश्न- प्राचीन आर्थिक विचारधाराओं की प्रमुख विशेषताएँ कौन-कौन सी थीं?
- प्रश्न- प्लेटो के 'साम्यवाद' की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सेण्ट थॉमस एक्विनास के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- उचित कीमत (Just price) सम्बन्धी सन्त थॉमस एक्विनास के विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सन्त थॉमस एक्विनास के श्रम विभाजन सम्बन्धी विचारों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- वणिकवाद के उदय के मूल कारकों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'वणिकवाद' के पतन के प्रमुख कारणों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- उन परिस्थितियों का आलोचनात्मक विवेचन कीजिए जिन्होंने वणिकवाद को बढ़ावा दिया और जो इसके पतन का कारण बनीं।
- प्रश्न- वणिकवाद के सिद्धान्त एवं नीतियाँ लिखिये।
- प्रश्न- वाणिकवाद से क्या आशय है?
- प्रश्न- वणिकवादी दर्शन के मुख्य तत्त्व क्या थे?
- प्रश्न- वणिकवाद का आर्थिक विचारों के इतिहास में क्या महत्व है?
- प्रश्न- वणिकवाद के ब्याज के सिद्धांत की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- नव-वणिकवाद के उदय के कारण क्या हैं? संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पुराने वणिकवाद तथा नव-वणिकवाद में समानताएँ क्या हैं?
- प्रश्न- सोना चाँदी का महत्व बताइये।
- प्रश्न- वणिकवाद की एक राष्ट्रीय नीति के सन्दर्भ में चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- वणिकवादियों के 'राज्य सम्बन्धी विचार' क्या थे? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'वणिकवाद एवं राज्य समाजवाद' पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- थॉमस मून के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रकृतिवाद क्या है? प्रकृतिवादी वणिकवादियों का क्यों विरोध करते हैं?
- प्रश्न- प्रकृतिवाद और वणिकवाद के अर्थशास्त्रीय दर्शन में क्या मूलाधारीय अन्तर है? उनके समाज की आर्थिक दशाओं में प्रकृतिवादियों की देन की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- प्रकृतिवाद के उदय के कौन-कौन से कारण उत्तरदायी थे?
- प्रश्न- आर्थिक तालिका अथवा धन के परिभ्रमण से क्या आशय है?
- प्रश्न- आर्थिक तालिका की दुर्बलताओं की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'प्रकृतिवादी सिद्धान्त' क्या है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- समान त्याग के सिद्धान्त से क्या अभिप्राय है?
- प्रश्न- "सहयोगी समाजवादी" से क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- सर विलियम पैटी के आर्थिक विचारों का वर्णन करें।
- प्रश्न- तुर्गो (Turgot) के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लॉक के मूल्य सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लॉक के सम्पत्ति सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लॉक के मुद्रा सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लॉक का विदेशी व्यापार सम्बन्धी व्यापार संतुलन के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "डेविड ह्यूम (David Hume) को मुद्रावाद का सूत्रधार कहा जाता है।" इस कथन की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- एडम स्मिथ की पुस्तक 'राष्ट्रों का धन' (Wealth of Nations) का तत्कालिक आर्थिक विचारधारा पर क्या प्रभाव पड़ा?
- प्रश्न- एडम स्मिथ के आर्थिक विचारों के विकास में योगदानों का विवरण दीजिए तथा उनके, आर्थिक सिद्धान्तों का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- एडम स्मिथ की व्यवस्था के अन्तर्गत " श्रम विभाजन" और "बाजार के विस्तार" की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'परम्परावाद' क्या है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक विचारों के इतिहास में स्मिथ के स्थान को चिन्हित कीजिए।
- प्रश्न- अहस्तक्षेप नीति क्या है?
- प्रश्न- स्मिथ के सिद्धान्तों का समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- स्मिथ का आशावाद क्या है?
- प्रश्न- एडम स्मिथ के पूँजी संचय सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वितरण सम्बन्धी एडम स्मिथ के विचारों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- एडम स्मिथ के व्यापार सम्बन्धी विचारों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- एडम स्मिथ के आशावाद पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- स्मिथ के प्रकृतिवाद पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- "रिकार्डों का मुख्य योगदान मूल्य सिद्धान्त तथा वितरण सिद्धान्त के क्षेत्र में है। " व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- रिकार्डो के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के सिद्धान्त की आलोचनात्मक विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- उन परिस्थितियों का वर्णन कीजिये जिनसे प्रकृतिवाद का जन्म हुआ। प्रकृतिवाद का आर्थिक विचारों में क्या योगदान है?
- प्रश्न- रिकार्डों के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के सिद्धान्त की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- डेविड रिकार्डों के 'मजदूरी सिद्धान्त' पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- रिकार्डों का तुलनात्मक लागत सिद्धान्त बताइए।
- प्रश्न- रिकार्डों की प्रसिद्ध पुस्तक 'The Principles of Political Economy and Taxation' पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- रिकार्डो के लगान सिद्धान्त की आलोचना कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस के 'जनसंख्या सिद्धान्त' की व्याख्या कीजिए तथा इसकी आलोचनाओं को बताइए।
- प्रश्न- नव-माल्थसवाद क्या है? इसके प्रमुख आर्थिक विचारों की विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अति उत्पादन तथा लगान पर माल्थस के विचारों की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस के 'लगान' सम्बन्धी विचार को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस के 'प्रभावी माँग के सिद्धान्त' का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस और रिकार्डो को निराशावादी क्यों कहा जाता है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस के विचारों को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक क्या थे? विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- 'मार्क्स अन्तर्राष्ट्रीय समाजवाद के पिता के रूप में था।' स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल मार्क्स के 'द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद' को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मार्क्स के 'अतिरेक मूल्य सिद्धान्त' की व्याख्या कीजिए तथा इसकी प्रमुख आलोचनाओं को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मार्क्स के आर्थिक विघटन सम्बन्धी विचार की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- "मार्क्सवाद परम्परावाद के तने पर उगी हुई शाखा मात्र है।" उक्त कथन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- क्या कार्ल मार्क्स को प्रतिष्ठित सम्प्रदाय का अर्थशास्त्री माना जा सकता है? विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- सहयोगी समाजवाद, राज्य समाजवाद और वैज्ञानिक समाजवाद की तुलना कीजिए और उनका अन्तर भी स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल मार्क्स द्वारा प्रतिपादित आधुनिक समाजवाद के मुख्य सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सिसमाण्डी के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "सिसमाण्डी समाजवादी विचारक था। " सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- मार्क्सवाद की विचारधारा के मूल तत्त्व कौन-कौन से थे?
- प्रश्न- मार्क्सवाद की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- वर्ग संघर्ष पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के प्रमुख आर्थिक विचारों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के आर्थिक विचारों पर प्रभाव डालने वाले मुख्य घटकों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जे आर. हिक्स के विचारों की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- "मिल के द्वारा परम्परावादी अर्थशास्त्र पूर्ण रूप से विकसित किया गया और उसी के साथ उसका पतन प्रारम्भ हुआ।" इस कथन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल परम्परावादी सिद्धान्तों के किन-किन नियमों से सहमत तथा किन-किन नियमों से असहमत था? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के स्वहित सिद्धान्त की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के स्वतन्त्रता प्रतियोगिता के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के जनसंख्या सिद्धांत की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मिल के समाजवादी विचारों की आलोचना कीजिए।
- प्रश्न- 'जे. एस. मिल समाजवादी था'। इस कथन के पक्ष में तर्क दीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के आर्थिक विचारों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- जे. बी. से के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के मजदूरी सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मिल के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 'मूल्य व वितरण' के क्षेत्र में मार्शल के योगदान का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्पष्ट व्याख्या कीजिए कि नव-परम्परावाद क्या है? इस सन्दर्भ में मार्शल के आर्थिक सिद्धान्त के क्षेत्र में योगदान का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- नव परम्परावाद क्या है? परम्परावादी एवं नव परम्परावादी विचारों में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- प्रकृतिवाद को जन्म देने वाली शक्तियों की व्याख्या कीजिए तथा आर्थिक विचारधारा में उसका मुख्य योगदान बताइये।
- प्रश्न- मार्शल के निरंतरता सिद्धांत पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मार्शल के आभास लगान के संबंध में विचारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्रतिनिधि फर्म के विषय में मार्शल के विचारों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मार्शल ने अल्पकालीन व दीर्घकालीन विवाद के हल को कैसे सुलझाया?
- प्रश्न- परम्परावादी तथा नवपरम्परावादी विचारों में अन्तर कीजिए।
- प्रश्न- मार्शल के उपयोगितावाद पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- शुद्ध उत्पत्ति का सिद्धान्त बताइए।
- प्रश्न- राबिन्स के विचारों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पीगू के आर्थिक कल्याण सम्बन्धी विचारों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- पीगू ने अर्थशास्त्र का क्षेत्र निर्धारण किस प्रकार किया है?
- प्रश्न- पीगू के रोजगार सम्बन्धी विचार का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पीगू के समाजवादी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शुम्पीटर के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सीमान्तवाद क्या है? सीमान्तवादियों का अर्थशास्त्र में क्या योगदान रहा है?
- प्रश्न- क्रूनो के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मूल्य निर्धारण के सम्बन्ध में क्रूनो के विचारों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- गोसेन के आर्थिक विचारों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जेवन्स के मूल्य सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रो. एल. वालरा (वालरस) के बाजार सन्तुलन सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सिसमण्डी के आर्थिक विचारों की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- सीमान्तवादी क्रान्ति की व्याख्या कीजिए तथा इस सम्बन्ध में मेंजर के विचारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जेवन्स के प्रमुख आर्थिक विचारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल मेंजर के द्रव्य सम्बन्धी विचारों को संक्षेप में लिखिए।
- प्रश्न- विकस्टीड के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वालरस के उपयोगिता सम्बन्धी विचार का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वालरस के साम्य सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल मेंजर के आर्थिक विचारों पर प्रकाश डालिए
- प्रश्न- कार्ल मेंजर के विनिमय सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल मेंजर के अनुसार वस्तुओं के वर्गीकरण का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल मेंजर के मुद्रा सम्बन्धी विचारों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- जेवेन्स के मूल्य सिद्धान्त का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- जेवेन्स के आर्थिक विचारों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- यूजिन वॉन बाम बावर्क के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बाम बावर्क के मूल्य सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नटविकसेल के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- इविंग फिशर के प्रमुख आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "मुद्रा प्रसार व संकुचन दोनों हानिकारक हैं।" इविंग फिशर के इस विचार का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- फिशर के मुद्रा के परिमाण सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।